प्रधानाध्यापक के कर्तव्य एवं दायित्व

परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत प्रधानाध्यापको / अध्यापकों के कार्य एवं दायित्व के सम्बन्ध में नवीनतम दिशा-निर्देश :

शासनादेश यहाँ से डाउनलोड करें- 

    बुनियादी शिक्षा का बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्राथमिक विद्यालय बुनियादी शिक्षा के आधार स्तम्भ होते है। प्राथमिक विद्यालयों में सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाऐं जो बच्चों के सर्वागीण विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है उनके क्रियान्वयन में विद्यालय के प्रधानाध्यापक एवं सहायक अध्यापकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है उन योजनाओं के माध्यम से विद्यालय के शिक्षकों के द्वारा अध्ययनरत बच्चों को खेल-खेल में एवं रूचिपूर्ण तरीके से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ शारीरिक/ मानसिक एवं यौगिक कियाओं का अभ्यास कराया जाता है जिससे बच्चों में अन्तर्निहित नैसर्गिक क्षमताओं का विकास होता है। परिषदीय विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2024-25 में सम्पादित किये जाने वाले प्रमुख गतिविधियों का वार्षिक एवं शैक्षणिक कैलेण्डर कार्यालय के पत्राक 1273 दिनांक 14 मई, 2024 के द्वारा प्रेषित किया जा चुका है जिसके कम में विद्यालय स्तर पर विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही है। उक्त के साथ विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, शिक्षक/शिक्षिका के प्रमुख कार्य एवं दायित्व निम्नवत् है –

प्रधानाध्यापक के कार्य एवं दायित्व:- 

  • विद्यालय खुलने के समय से 15 मिनट पूर्व विद्यालय में प्रार्थना सभा का आयोजन कराया जाये तथा वर्ष 2024-25 हेतु निर्गत शैक्षणिक कैलेण्डर में दिये गये निर्देशानुसार प्रतिदिन निर्धारित प्रार्थनाये करायी जाये। प्रार्थना के पश्चात् राष्ट्रगान तत्पश्चात् 5 से 7 मिनट का ध्यान (मेडिटेशन) बच्चों से कराया जाये।
  • प्रार्थना के समय प्रधानाध्यापक सहित सभी शिक्षक / शिक्षिकायें अनिवार्य रूप से प्रार्थना सभा में उपस्थित रहेंगे / रहेंगी। प्रधानाध्यापक का यह दायित्व होगा कि उपस्थित सभी शिक्षक / शिक्षिकाओं एवं बच्चों सहित प्रार्थना स्थल का एक/दो फोटोग्राफ प्रतिदिन लिया जाय तथा उक्त फोटोग्राफ सम्बन्धित खण्ड शिक्षा अधिकारी को प्रार्थना सभा समाप्त होने के उपरान्त तत्काल प्रेषित किया जाय एवं उक्त फोटोग्राफ को अपने टैबलेट में भी सुरक्षित रखा जाय।
  • विद्यालय निर्धारित समय सारिणी के अनुसार संचालित किये जायें। निर्धारित समय सारिणी के अनुसार प्रत्येक कालांश 40 मिनट का होगा। प्रत्येक कालांश में शिक्षकों द्वारा अपने विषय को सकारात्मक वातावरण में पठन-पाठन कराया जाय।
  • उ०प्र० बेसिक शिक्षा परिषद्, प्रयागराज के कार्यालय द्वारा जारी अवकाश तालिका से भिन्न स्थानीय स्तर पर जिलाधिकारी के अतिरिक्त अन्य किसी अधिकारी द्वारा कोई अवकाश स्वीकृत नहीं किया जायेगा। मण्डलीय/जनपदीय रैलियों/समारोह/विशेष कार्यक्रम के कारण कार्यक्रम स्थल/संबंधित विद्यालय के अतिरिक्त अन्य विद्यालयों के समय में परिवर्तन बन्द किया जाना प्रतिबन्धित होगा। मण्डलीय/जनपदीय रैलियों के संबंध में शासन एवं निदेशालय स्तर निर्गत दिशा निर्देशों के अनुसार ही कार्यवाही की जाय।
  • विभिन्न निरीक्षणों / बैठको/ए०आर०जी०एस०आर०जी० तथा अधिकारियों से प्राप्त फीड बैंक के अनुसार उनका अनुपालन किया जाम एवं राभी प्रकार की पंजिकाओं गया-शिक्षक डायरी उपस्थिति पंजिका, प्रवेश पंजिका, कक्षावार छात्र उपस्थिति पंजिका एमएमा समेकित निःशुल्क सामग्री वितरण पंजिका, स्टॉक पंजिका, आय-व्ययक पंजिका चेक इश्यू पंजिका (बजटवार), बैठक पंजिका, निरीक्षण पंजिका, पत्र व्यवहार पंजिका, बाल गणना पत्रिका तथा पुस्तकालय एवं खेलकूद पंजिकाओं का रख-रखाव का कार्य प्रधानाध्यापक द्वारा स्वयं/विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं के सहयोग से कराया जायेगा।
  • शैक्षिक पंचाग का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाये। यदि किसी शिक्षक द्वारा शैक्षिक पंचाग में निर्धारित समय सारिणी का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जा सका है एवं निर्धारित पाठ्यक्रम का अध्यापन पूर्ण नहीं किया गया है तो उसकी प्रतिपूर्ति हेतु अतिरिक्त कालांश की व्यवस्था की जाये।
  • शिक्षकों/शिक्षक संगठनों द्वारा आयोजित किसी गतिविधि में विद्यालय अवधि में प्रतिभाग नहीं किया जायेगा। अपरिहार्य परिस्थितियों में सक्षम स्तर से स्वीकृति के उपरान्त ही प्रतिभागिता की जा सकेगी।
  • विद्यालय में शिक्षण कार्य को सुचारू रूप से संचालित कराने एवं निर्धारित पाठ्यक्रम को समय से पूर्ण कराने का दायित्व प्रधानाध्यापक / शिक्षकों का होगा। इस हेतु प्रधानाध्यापक स्वयं को सम्मिलित करते हुए विद्यालय में उपलब्ध शिक्षकों की संख्या के आधार पर कक्षावार अथवा शिक्षक-शिक्षिकावार पाठ्यकम का विभाजन किया जायेगा यथासम्भव कक्षा-कक्ष एवं शिक्षकों की उपलब्धता के आधार पर कक्षा-1 व कक्षा-2 के लिये पृथक-पृथक शिक्षकों को आवंटित किया जाये। विद्यालय में नये शिक्षकों की नियुक्ति होने पर प्रधानाध्यापक द्वारा सम्बन्धित शिक्षक को सम्मलित करते हुए कक्षा एवं कालांशो का पुर्नविभाजन सुनिश्चित किया जायेगा। प्रत्येक शिक्षक का दायित्व होगा कि प्रधानाध्यापक द्वारा किये गये पाठ्यक्रम विभाजन के अनुसार समय से पठन-पाठन सुनिश्चित करें।
  • सभी कक्षाओं के लिये मासिक निर्धारित पाठ्यक्रम का उसी माह में अनिवार्य रूप से पूर्ण किया जायेगा। यदि किसी कारणवश किसी शिक्षक का पाठ्यकम उस माह में पूर्ण नहीं होता है तो अतिरिक्त वादन निर्धारित कर उसे सम्बन्धित शिक्षक से ही पूर्ण कराया जाय। विद्यालय में सभी शिक्षकों द्वारा डायरी तैयार की जायेगी जिसमें शिक्षकों के द्वारा किये जाने वाले शैक्षणिक व अन्य कार्यों के साथ-साथ शिक्षण योजना का उल्लेख होगा। प्रधानाध्यापक द्वारा शिक्षकों की डायरी का नियमित अवलोकन किया जायेगा।
  • प्रत्येक कक्षायें यथासम्भव अलग-अलग कक्षों में संचालित करायी जायें यदि कक्षा-कक्षों की कमी है तो अन्य समुचित स्थान पर बच्चों को बैठाकर अध्यापन पूर्ण किया जाये इसके साथ ही आवश्यकतानुसार अतिरिक्त कक्षा-कक्षों की मांग हेतु औचित्य पूर्ण प्रस्ताव तैयार कर खण्ड शिक्षा अधिकारी को भेजेगा।
  • अध्यापन कार्य में प्रिन्ट रिच सामग्री, पोस्टर्स, चार्ट एवं गणितीय अवधारणा हेतु गणित किट एवं अन्य उपयोगी टीचिंग लर्निंग मैटिरियल प्रयोग में लायी जायें। मौखिक भाषा विकारा एवं गतिविधि आधारित शैक्षणिक प्रणाली हेतु उपलब्ध कराये गये शिक्षण योजना का कक्षा शिक्षण में प्रयोग सुनिश्चित किया जाये।
  • बच्चों की साहित्यिक व सांस्कृतिक सूजन क्षमताओं के विकास हेतु विद्यालय में प्रत्येक माह विविध गतिविधियों यथा-वाद-विवाद, प्रतियोगिता, कविता पाठ, भाषण, निबन्ध, लेखन, कहानी लेखन, अन्त्याक्षरी, समूह गान, देशभक्ति गान, मूक अभिनय, सम-सामयिक विषयों पर चर्चा आदि का आयोजन कराया जाये। इसी प्रकार बच्चों से पोस्टर, चार्ट गॉडल, रंगोली, ग्रीटिंग कार्ड, मि‌ट्टी के खिलौने, वॉल हैगिंग, कागज के लिफाफे, अनुपयोगी वस्तुओं से सजावटी सामान आदि का निर्माण कराया जाये।
  • सप्ताह में एक बार प्रधानाध्यापक की अध्यक्षता में विद्यालय के सभी शिक्षकों की बैठक आहूत की जायेगी। इस बैठक में अगले सप्ताह की कार्ययोजना एवं विकासखण्ड स्तर पर आयोजित मासिक समीक्षा बैठकों में प्रदत्त निर्देशों के अनुपालन का अनुश्रवण किया जायेगा।
  • विद्यालय में यदि कोई शिक्षक-शिक्षिका विलम्ब से आते है अथवा बिना सूचना अनुपस्थित रहते या उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर बनाकर विद्यालय से अनुपस्थित हो जाते है/ प्रथा जयापक से दुर्व्यवहार करते है ऐसे शिक्षकों को प्रधानाध्यापक द्वारा नोटिस निर्गत की जायेगी एवं बिना सूचना के अनुपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं को उपस्थिति पंजिका पर अनुपस्थित अंकित किया जायेगा। नोटिस का एक अवसर दिये जाने के बावजूद भी यदि शिक्षक-शिक्षिकायें समय से विद्यालय में उपस्थित नहीं होते है और अपने आचरण में सकारत्मक बदलाव नहीं लाते है तो सम्बन्धित शिक्षक के विरूद्ध अनुशासनात्मक प्रस्ताव तैयार कर खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्रेषित करेंगे। उक्त दोनों अधिकारी प्रधानाध्यापक द्वारा प्रेषित प्रस्ताव का संज्ञान लेकर एवं जांच में दोषी पाये जाने पर सम्बन्धित शिक्षक-शिक्षिका को नियमानुसार दण्डित करेंगे एवं कृत कार्यवाही से सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाध्यापक को भी अवगत करायेंगे।
  • सभी शिक्षकों के लिये यह सुनिश्चित है कि शैक्षिक पाठ्यक्रम एवं निर्धारित समय सारिणी के अनुसार अपना पाठ्यक्रम पूर्ण करेंगे जिसकी मासिक समीक्षा प्रधानाध्यापक द्वारा की जायेगी। मासिक समीक्षा में जिन शिक्षकों का पाठ्यक्रम समय से पूर्ण नहीं पाया जाता है प्रधानाध्यापक उनकों नोटिस निर्गत करते हुए निर्धारित पाठ्यक्रम पूर्ण करने का निर्देश प्रेषित किया जायेगा तथा उसकी सूचना खण्ड शिक्षा अधिकारी को दी जायेगी।
  • प्रधानाध्यापक द्वारा विद्यालय में कार्यरत सभी शिक्षक-शिक्षिका/कर्मचारी के साथ समवत् व्यवहार किया जाय एवं किसी के साथ भेद-भाव या पक्षपात् नहीं किया जायेगा।
  • विद्यालय के सभी शिक्षक शिक्षिकाओं का विवरण नोटिस बोर्ड (पूर्व प्रेषित निर्देशों के क्रम में) अंकित करायेंगे, जो शिक्षक-शिक्षिका अवकाश पर है उनका विवरण (नाम एवं पदनाम) नोटिस बोर्ड पर अंकित करवाना।

शिक्षकों के दायित्व-

  • विद्यालय में शिक्षण कार्य प्रारम्भ होने से 15 मिनट पूर्व विद्यालय में उपस्थित होना अनिवार्य है। प्रत्येक शिक्षक/शिक्षिका प्रार्थना सभा में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेगा / रहेगी तथा प्रार्थना सभा के पश्चात् राष्ट्रगान एवं तत्पश्चात 5-7 मिनट बच्चों को मेडीटेशन (ध्यान) आदि में सक्रिय सहयोग करेगा।
  • दैनिक राभा के दौरान सभा स्थल पर ही छात्रों में नैतिक मूल्यों के विकास हेतु समाज में व्यापा कुरीतियों जैसे-दहेज प्रथा, गद्यपान, धूम्रपान, जाति प्रथा, लिंग भेद, भ्रष्टाचार साम्प्रदायिकता आदि दूर करने हेतु बच्चों को शिक्षकों द्वारा विस्तृत जानकारी दी जाये तथा देश-भक्ति एवं अच्छे संस्कार यथा-शिष्टाचार, सभ्य आचरण की प्रवृत्ति विकसित करने हेतु अमर शहीदों, वीर पुरुषी, देशभक्तों एवं सदाचार जैसे विषयों पर प्रतिदिन बच्चों से व्याख्यान दिलाया जाये।
  • शिक्षक द्वारा अनिवार्य रूप से शिक्षक डायरी बनायी जायेगी जिसमें साप्ताहिक प्रगति एवं आगामी सप्ताह की कार्ययोजना तैयार की जायेगी। सपोर्टिव सुपरविजन के दौरान ९०आर०पी०/एस०आर०जी० द्वारा शिक्षक डायरी का अवलोकन किया जायेगा एवं अपेक्षानुसार मार्गनिर्देश प्रदान किया जायेगा।
  • छात्र-छात्रा द्वारा अपेक्षित लर्निंग आउटकम्स प्राप्त किये जाने की तिथि को हर शिक्षक द्वारा निपुण तालिका में प्रविष्टि अंकित की जायेगी। इसका प्रत्येक माह प्रधानाध्यापक एवं एकेडमिक रिसोर्सपर्सन द्वारा अनुश्रवण एवं प्रमाणीकरण किया जायेगा।
  • प्रत्येक दिन कक्षावार एवं विषयवार / प्रोजक्ट/गृहकार्य बच्चों को अवश्य दिया जाये एवं आगामी दिवस को गृह कार्य का आंकलन भी किया जाये।
  • बच्चों को संवैधानिक मूल्यों से अवगत कराया जाये, स्वच्छता के लिये प्रेरित किया जाये तथा विभिन्न भाषाओं, धर्मो के मूल तत्व, सामासिक संस्कृति एवं सर्व धर्म सम्भाव से अवगत कराया जाय।
  • बच्चों को समाचार पत्र, पत्रिकायें पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाये एवं सम-सामयिकी, सामान्य ज्ञान से अद्यावधिक रखा जाये तथा उनकी कैरियर कॉउन्सिलिंग भी की जाये। बच्चों को आधुनिक टेक्नोलॉजी एवं कम्यूनिकेशन के विविध आयाम जैसे इंटरनेट, ई०मेल, कम्प्यूटर आदि के माध्यम से अवगत कराते हुए उनके अन्दर वैज्ञानिक व नवाचारी मनोवृत्ति का विकास किया जाये।
  • बच्चे अतिसंवेदनशील होते है, उन्हें स्वतंत्रता एवं सम्मान के साथ भयमुक्त वातावरण की जरूरत होती है। अतः विद्यालयों में शिक्षा का ऐसा वातावरण बनाया जाये, जिससे कि उनका सर्वागीण विकास सुनिश्चित हो सके।
  • सभी शिक्षकों/शिक्षिकाओं द्वारा विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में पठ्न पाठ्न सुनिश्चित करेंगें एवं विद्यालय के अन्य प्रशासनिक/प्रबन्धकीय कार्य यथा एम०डी०एम०/ पाठ्य पुस्तकों का वितरण, विद्यालय की साफ-सफाई, आधार प्रमाणीकरण, विद्यालय का छात्र नामांकन में अभिवृद्धि आदि में पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे।

शिक्षण अवधि में प्रतिबन्धित कार्यः-

  • शिक्षक विद्यालय से संबंधित विभिन्न कार्यों यथा पासबुक में एण्ट्री/अपडेशन, ग्राम प्रधान से वार्ता/चेक पर हस्ताक्षर / एम०डी०एम० सम्बन्धी आवश्कताओं एवं समन्वय आदि हेतु शिक्षण अवधि में विद्यालय परिसर से बाहर नहीं जायेंगे। यदि उपर्युक्त कार्यों के कारण निरीक्षण अथवा सपोर्टिव सुपरविजन में कोई शिक्षक अनधिकृत रूप से अनुपस्थित पाया जाता है तो उक्त दिन के वेतन की कटौती की जायेगी।
  • शिक्षण अवधि में अवकाश स्वीकृत कराने एवं अन्य अधिष्ठान सम्बन्धी समस्याओं के लिए विकासखण्ड या जनपद स्तरीय कार्यालय में जाना प्रतिबंधित होगा। मानव सम्पदा पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन प्रणाली द्वारा ही अवकाश हेतु आवेदन किया जायेगा। इस हेतु जनसुनकयी समाधान पोर्टल (IGRS) पर भी शिकायतें दर्ज की जा सकेंगी।
  • यदि किसी विद्यालय में कोई proxy teacher पाया जाता है अथवा कोई शिक्षक बिना अवकाश के अनुपस्थित पाया जाता है या किसी माध्यम से यह संज्ञान में आता है कि कोई शिक्षक अनाधिकृत रूप से विद्यालय से अनुपस्थित है एवं उसका नियमित वेतन आहरण हो रहा है तो इसके लिये संबंधित प्रधानाध्यापक / खण्ड शिक्षा अधिकारी पूर्णतः उत्तरदायी होंगे तथा सर्वसम्बन्धित के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
  • विद्यालय अवधि में किसी भी विभाग से संबंधित हाडस होल्ड सर्वे नहीं कराया जायेगा।
  • विद्यालय में मरम्मत एवं निर्माण कार्य, रंगाई पुताई या तो छु‌ट्टी वाले दिनों में अथवा शिक्षण अवधि के पश्चात ही कराया जायेगा।
  • विद्यालय में शारीरिक दण्ड, भेदभाव, उत्पीड़न रहित आनन्दमय वातावरण बनाने की जिम्मेदारी सभी शिक्षकों एवं विद्यालय कर्मचारियों की होगी। किसी भी तरह के भेद-भाव एवं असुख्खा आदि की स्थिति में तत्काल जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं पर्यवेक्षणीय अधिकारी को अवगत कराया जायेगा। बच्चों के मध्य किसी भी प्रकार का भेदभाव किये जाने की स्थिति में शिक्षक/शिक्षिका के विरूद्ध कठोर अनुशानात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।

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