सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को लेकर शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा मोड़ है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
🏛️ सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: TET अब अनिवार्य
📅 निर्णय की तिथि:
- 1 सितम्बर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की पीठ (न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन) ने यह फैसला सुनाया।
🔍 फैसले के मुख्य बिंदु:
श्रेणी | नियम |
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नव नियुक्त शिक्षक | TET पास करना अनिवार्य है। बिना TET कोई नियुक्ति नहीं होगी। |
सेवारत शिक्षक (जिनकी सेवानिवृत्ति में >5 वर्ष बाकी हैं) | उन्हें 2 वर्षों के भीतर TET पास करना होगा, अन्यथा सेवा समाप्त की जा सकती है। |
सेवारत शिक्षक (जिनकी सेवानिवृत्ति में ≤5 वर्ष बाकी हैं) | वे सेवा में बने रह सकते हैं, लेकिन पदोन्नति के लिए TET पास करना अनिवार्य होगा। |
अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान | फिलहाल TET से छूट, क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट की बड़ी पीठ के समक्ष विचाराधीन है। |
📜 कानूनी आधार:
- यह फैसला RTE अधिनियम 2009 की धारा 23 और NCTE की 2011 की गाइडलाइन पर आधारित है, जिसमें TET को शिक्षक बनने की न्यूनतम योग्यता बताया गया है।
- कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह कदम आवश्यक है। शिक्षक केवल नियुक्ति के समय ही नहीं, बल्कि सेवा में बने रहने और पदोन्नति के लिए भी योग्य होने चाहिए।
🧑🏫 राज्यों की प्रतिक्रिया:
- ओडिशा सरकार ने कहा है कि वे इस फैसले की समीक्षा करेंगे और विशेष TET परीक्षा आयोजित करने पर विचार कर रहे हैं ताकि पुराने शिक्षक भी पात्र बन सकें।
- कई शिक्षक संगठनों ने मांग की है कि यह नियम केवल नए नियुक्तियों पर लागू हो, पुराने शिक्षकों को छूट दी जाए।
⚖️ अल्पसंख्यक संस्थानों पर क्या होगा?
- 2014 के Pramati Educational Trust केस में अल्पसंख्यक संस्थानों को RTE से छूट दी गई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर सवाल उठाया है और इसे बड़ी पीठ के पास भेज दिया है।